Sunday 11 October 2015

धर्म संकट में

सच बोलूँ यहाँ हर कोई बेईमान है,
धरम तेरा कौनसा ईमान है ?

मंदिर-मस्जिद के दंगों में बटे है सारे,
जिंदा बचे हुए कुछ इंसान है !

तू कौनसी कश्मकश में हैं ए जिंदगी ?
हर कोई यहाँ हैरान है !

जिंदगी की कीमत क्या लगाते हो बाबू,
मरना तो यहाँ बहौत आसान है !

टूटते हुए इन शीशों के साथ,
एक टुटी हुई उड़ान है !!

जिप्सी

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